बन्दर राजा पहन के टाई
ठुमक ठुमक के चले ससुराल
एक हाथ में छतरी लेकर
एक हाथ में लाल रूमाल
शाम ढली तो बन्दर राजा
थक कर हो गए निढाल
चारो तरफ अँधेरा था,
नहीं पहुचे फिर भी ससुराल.
चलते चलते हो गयी देर
जंगल में था बब्बर शेर
सुनकर शेर की बड़ी दहाड़
बन्दर को लग गया बुखार
छतरी छूटी गिरा रूमाल
दौड़ दौड़ के हुए बेहाल
कान पकड़ कर कसम उठाई
अब नहीं जाऊँगा ससुराल ..
.. नीरज कुमार नीर ..