होली मन में उमँग भरन लागे (you tube पर इसे सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें)
होली मन में उमँग भरन लागे
झूम रही अमवाँ की डाली, झूमे बाँस बसेड़ी
जब से फाल्गुन आया महीना, मौसम हुआ नशेड़ी
मस्ती में मनवां झूमन लागे
चल रही है हवा बासंती, इधर उधर बौराये
मटक मटक के चले गुजरिया, दिल में आग लगाए
यौवन फाल्गुन में बहकन लागे
सरसों फूले पीले पीले, महुआ रस बरसाए
दिल छोरों का घायल हो, नैनों के बाण चलाये
गोरी अँखियाँ दबाय हँसन लागे
खेल रहे हैं जीजा साली, खेल रही घर वाली
दुआरे बैठे फगुआ गाये, टोली बजा के ताली
ढोल झांझर संग बजन लागे
चाट, फुलौड़ी और पकौड़ी, बना रहे मालपुआ
ठंढई में भांग मिलाके, घोंट रही है फ़ूआ
आई लव यू फूफा को कहन लागे
बारह महीने अँखियाँ तरसी, तब बालम जी आये
होली बीते जइहें सजनवाँ, दिल मोरा घबराए
जिया धक धक मोरा करन लागे
https://youtu.be/BalKXzEoI0A
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