जिस देश में शहीदों की कद्र नहीं हो उस देश का भविष्य सुरक्षित नहीं रहता। अभी हाल ही में पंजाब में आतंकवादी घटना हुई जिसमे वहाँ एक एस पी बलजीत सिंह शहीद हो गए। जिस दिन याक़ूब मेनन को फांसी दी गयी उसी दिन पाकिस्तान बोर्डर पर एक भारतीय सैनिक को टार्गेट कर के शहीद कर दिया गया । एक आतंकवादी , सैकड़ों मासूमों , बेगुनाहों के हत्यारे को जब फांसी दी गयी तो उसके पूर्व एवं पश्चात उसकी जितनी चर्चा इस देश के बुद्धिजीवियों एवं मीडिया ने की उसका एक प्रतिशत भी इस देश के लिए शहीद होने वाले उपरोक्त बहादुरों के बारे में नहीं किया... क्या इस देश का मीडिया एवं बुद्धिजीवि वर्ग भी यही सोचता है कि सिपाही तो भर्ती ही मरने के लिए होता है ? तो याद रखिए इन्हीं सिपाहियों के पास भाग जाने का अवसर भी हमेशा ही होता और जब ये सिपाही भाग खड़े होंगे तो इन्हीं आतंकवादियों के हाथों जिनके लिए ये बुद्धिजीवि आँसू बहाते हैं सब मारे जाएँगे .... शहीदों का सम्मान कीजिये , नमन कीजिये उन्हें जो हँसते हँसते देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर देते हैं ....... इन्हीं शहीदों को समर्पित है यह कविता ।
............नीरज कुमार नीर / 24/01/2015