कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
कल के दुःशासन से गले मिलैं सुशासन बाबू
कैसी विडम्बना है
राजनीति के व्यापार में
जिनके विरुद्ध खड़े हुए
भेजा कारागार में
अब उन्हीं की आरती
उतारैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
सत और असत में अब
भेद कोई बचा नहीं है
उनके अपराधों की
कोई अब चर्चा नहीं है
तम सम आचरण को
पावन कहैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
सज्जन के मन खौफजदा
अपराधी आबाद है
जय कहिए कि बिहार में
आया समाजवाद है
लालटेन की रौशनी
जंगल फिरैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
गली गली भुजंग दिखै
और फिरैं गड़ावत दाँत
मानसरोवर में बागुला
नाला हंस की पांत
गाल बजावैं खुद को
चंदन कहैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
............ नीरज कुमार नीर
कल के दुःशासन से गले मिलैं सुशासन बाबू
कैसी विडम्बना है
राजनीति के व्यापार में
जिनके विरुद्ध खड़े हुए
भेजा कारागार में
अब उन्हीं की आरती
उतारैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
सत और असत में अब
भेद कोई बचा नहीं है
उनके अपराधों की
कोई अब चर्चा नहीं है
तम सम आचरण को
पावन कहैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
सज्जन के मन खौफजदा
अपराधी आबाद है
जय कहिए कि बिहार में
आया समाजवाद है
लालटेन की रौशनी
जंगल फिरैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
गली गली भुजंग दिखै
और फिरैं गड़ावत दाँत
मानसरोवर में बागुला
नाला हंस की पांत
गाल बजावैं खुद को
चंदन कहैं सुशासन बाबू
कुर्सी के फेर में क्या क्या करैं सुशासन बाबू
............ नीरज कुमार नीर