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कहानी- अपाहिज


"मम्मी,
मुझे आज मैडम ने जो प्रोजेक्ट दिया है वो बहुत सिंपल है। बस कुछ एप्पल, ग्रेप्स आदि के चित्र बनाकर उनमें रंग भरना है और फिर उनकी अच्छे से कटिंग करके ले जाना है। मैं अभी कर लेती हूं।" पांच साल की अंशिका ने कहा। 
"नहीं, तू सब उलटा पुलटा बना कर रख देगी। मैं बस किचन का काम निपटाकर आ रही हूं। तब तक तू कोई गेम खेल ले।" शिल्पा ने कहा। 
"मम्मी, प्लीज मैं बनाती हूं न। प्लीज..." 
"नहीं। तू सब गड़बड़ कर देगी। मैं आती हूं फिर मेरे सामने हम दोनों मिल कर बनाएंगे।" लेकिन अंशिका तो अंशिका है। उसे ड्राइंग बनाना बहुत पसंद है। इसलिए वो शिल्पा के आने का इंतजार थोड़ी ही कर सकती थी। किचन का काम निपटाकर थोड़ी देर बाद जब शिल्पा कमरे में आई तो देखा कि अंशिका चित्र बना रही है और थोड़ा कलर उसकी ड्रेस पर, थोड़ा जमीन पर गिरा हुआ है और कलर के कुछ छींटे ड्राइंग शीट पर भी उड़े हुए है। यह देख कर शिल्पा का पारा सातवे आसमान पर चढ़ गया।
''तुम्हें बोला था न मैं ने कि रूक जा मैं आ रही हूं...लेकिन तुम सुनो तब न! दस मिनट रुक जाती तो तेरा क्या बिगड़ जाता? अब साफ़-सफाई कौन करेगा? किचन का काम करके वैसे भी थकान हो रही थी और अब ये काम करो...नए ड्रेस के दाग निकल भी गए तो भी उसकी शायनिंग कम हो जाती है। कैसे समझाऊं इस लड़की को? तुम्हारे स्कूल वाले भी ऐसे ऐसे प्रोजेक्ट दे देते है...इतने छोटे बच्चे को कैंची से अच्छे से कटिंग करते आएगी क्या? रंग ही तो बराबर नहीं भर सकते! जितना ड्राइंग शीट पर उपयोग नहीं करते उससे ज्यादा इधर-उधर गिरा देते है...तुम अपने आप को सुपरमैन समझती हो क्या जो सब कर लोगी? मैं ने कहा था न कि मैं आ रही हूं..." शिल्पा लगातार बड़बड़ किए जा रही थी। 

''सॉरी, मम्मी। लेकिन मैं बनाऊंगी नहीं तो सीखूंगी कैसे?" 
"पहले चीजों का संभाल कर इस्तेमाल करना तो सीख लो फ़िर ड्राइंग बनाना सीखना। जब इतना ही सीखने का शौक है तो अच्छे से बनाना था न!" शिल्पा ने बड़बड़ करते हुए उसका प्रोजेक्ट बनाया। 

दूसरे दिन अंशिका स्कूल से आई तो बहुत खुश थी। ''मम्मी, मेरा प्रोजेक्ट देख कर टीचर ने मुझे क्लैप दिया और मुझे A+ मिला।" 
"A+ तो मिलना ही था। तुम्हारी मम्मी ने इतने अच्छे से जो बना कर दिया था।" इतना सुनते ही अंशिका का चेहरा उतर गया। 
"हां, मम्मी। प्रोजेक्ट तो आप ही ने बनाया था। मैं ने तो कुछ बनाया ही नहीं था। मतलब वो क्लैप और A+ दोनों आप ही को मिले है। काश, आप मुझे बनाने देती!" ऐसा कह कर वो चली गई। 
शिल्पा A+ ग्रेड मिलने की खुशी में इतनी मग्न थी कि अंशिका की उदासी की ओर उसका ख्याल ही नहीं गया। एक बार शिल्पा प्रेस कर रही थी। अंशिका ने कहा,''मम्मी, मैं नींबू शरबत बना लू?'' 
''नहीं। तुम्हारे हाथ से थोड़ा सा भी सिरप गिर गया तो चींटियों की लाइन लग जाएगी।'' 
''मैं बहुत अच्छे से बनाऊंगी। बिल्कुल भी नहीं गिराउंगी। आपने नींबू का शरबत बना कर ही तो रखा है न फ़्रीज में। सिर्फ़ फ्रिज में से निकाल कर थोड़ा सा सिरप ग्लास में डाल कर उसमें पानी ही तो मिलाना है, उतना तो आता है मुझे! प्लीज मैं बनाती हूं न!" 
''नहीं, नहीं...तुम गिरा दोगी। बाद में मेरा ही काम बढ़ेगा। रूक जा प्रेस करके मैं ही बना देती हू।" अंशिका नाराज होकर चली गई। 

आज रविवार होने से शिल्पा ने सोचा कि अंशिका को पास ही के बगीचे में घुमा लाती हूं। उसके पापा तो 4-5 दिनों के लिए ऑफिस टूर पर गए हुए है। बगीचे में बहुत सारे बच्चे अलग-अलग गेम्स खेलने में मग्न थे। एक दस-ग्यारह साल के बच्चे को उसकी मम्मी व्हीलचेयर पर लेकर आई थी। उसे देख कर अंशिका पूछने लगी, ''मम्मी, वो भैया तो मेरे से बहुत बड़े है। फ़िर वे अपने पैरों से क्यों नही चल रहे है? वे चेयर पर क्यों बैठे है? उनकी मम्मी को उनकी चेयर पकड़कर चलना पड़ रहा है।'' 
''वो अपाहिज है बेटा। वो चल नहीं सकते!" 
''अपाहिज क्या होता है?'' 
''जो खुद का काम खुद नहीं कर सकते, जिसे हमेशा किसी दूसरे के मदद की जरूरत पड़ती है। मतलब जो खुद के काम के लिए दूसरों पर निर्भर है उसे अपाहिज कहते है।" 
''वो भैया अपाहिज क्यों है? मेरा मतलब कोई भी ऐसे अपाहिज कैसे हो जाता है?" 
शिल्पा ने सरल सा जवाब देते हुए कहा,"जरूर उसने पिछले जन्म में कुछ बूरे कर्म किए होंगे जिसकी सजा भगवान ने उसे दी। मतलब जब भी हम कुछ बुरा काम करते है तो भगवान हमें पनिशमेंट देते है।" 
अंशिका थोड़ी देर कुछ सोचती रही और फ़िर बोली,"मम्मी, मैं ने भी पिछले जन्म में कोई बूरा काम किया था क्या जो भगवान ने मुझे पनिशमेंट देकर अपाहिज बनाया?" 
''अरे नहीं मेरी बच्ची! तुम तो मेरी रानी गुड़िया हो! तुम तो बिल्कुल ठीक हो। भगवान ने तुम्हें कोई पनिशमेंट नहीं दी।" 
"नहीं मम्मी। भगवान ने मुझे अपाहिज बनाकर पनिशमेंट दी है। मैं भी तो अपाहिज ही हूं! मैं खुद अपना कोई काम नहीं कर पाती। आप ही तो मेरे सभी काम करती हो। मैं भी तो अपने हर काम के लिए आप पर निर्भर हूं...मतलब हुई न मैं अपाहिज!" 

शिल्पा को काटो तो खून नहीं। अचानक उसकी आँखों के सामने कई दृश्य आ गए। छोटी सी अंशिका ने अपनी मासूमियत भरी बातों से शिल्पा को आइना दिखा दिया था। शिल्पा को अपने बच्चे की परवरिश करने के तरीके की गलती ख्याल में आ गई। उसने मन ही मन संकल्प लिया कि अब वो अपनी बेटी को अपाहिज नहीं बनाएगी...!

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