अन्ना हजारे ने जब भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन शुरू किया था तो उन्हें भी अंदाज़ा नही था कि इतनी परेशानिया आएगी !दरअसल लोग इतने तंग आ चुके है कि वे बहुत जल्दी बहुत ही उम्मीदे लगा बैठते है !अन्ना ने सब लोगों में एक आशा कि किरण सी ज़गा दी ....सब मान बैठे कि अब भ्रष्टाचार ख़त्म...अब नेता लोग मनमानी नही कर पाएंगे...अब सही काम के लिए बेवजह परेशान नही होना पड़ेगा..आदि...आदि...
पर हम एक बात भूल गये वो है...हमारी राजनीती..और भ्रष्ट व्यवस्था ...!यहाँ राजनीती में कोई किसी का दुश्मन नही है .एक दुसरे के सामने चुनाव लड़ने वाले चुनावों के बाद आपस में हाथ मिला लेते है ..!एक पार्टी को छोड़ते ही दूसरी सारी पार्टियाँ . ...उस नेता को हाथों हाथ अपनाने को तैयार हो जाती है !एक दुसरे को गालियां निकलने वाले नेता जाने कब गले मिलने लगते है...जनता को कुछ पता नही चलता...!राजनीतिज्ञों के भिछाये चक्रव्यूह को तोडना हर किसी के बूते कि बात नही है !
अब देखिये न ,इधर अन्ना का अनशन टूटा और उधर इस आन्दोलन कि हवा निकलने कि तैयारियां शुरू हो गयी !पहले कमेटी में कौन होगा विवाद ,फिर कौन नही है विवाद ,फिर मोदी कि प्रशंसा विवाद ,फिर अन्ना कि सम्पति का विवाद ,फिर आन्दोलन का खर्चा किसने उठाया विवाद और अब ये सी.डी. विवाद...!अब क्या सही है क्या नही है ये सोचने कि जरूरत नही ...जरूरत ये है कि इस आन्दोलन को फ्लॉप होने से कैसे रोका जाये.....
अगर ये आन्दोलन फ्लॉप हुआ तो हमारे देश में भी मिश्र,यूनान जैसे हालात पैदा हो सकते है !तंग आई हुई जनता के नायक बन कर उभरे अन्ना का कोई भी अपमान एक क्रांति के रूप में प्रकट हो सकता है !पर बेचारे अन्ना को क्या पता कि ये रास्ता कितना जटिल है ,ये नेता इस मामले को उलझा कर इतना विवादस्पद बना देंगे कि कभी सुलझे ही नही !विश्वाश नही होता तो इतिहास देख लीजिये ...कितने ही अनसुलझे मामले आज भी मुंह बाए खड़े है !अन्ना के खिलाफ जिस तरह का माहोल खड़ा किया जा रहा है उससे तो यही लगता है....अब आगे ना जाने क्या होगा....!मोटी चमड़ी वाले नेता इस आन्दोलन को अपने भ्रष्ट तरीकों से हराने का हर संभव प्रयास करेंगे...!बुराई पर हमेशा अच्छाई कि जीत होती है,बुरे हमेशा हारती है ...पर भगवन करे ऐसा न हुआ तो.....शायद बहुत बुरा होगा....
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