थार में हम नमक को लूण/नूण कहते हैं. इसी से लूणी यानी नमकीन शब्द बना है जिस नाम की एक नदी कभी अजमेर, बाड़मेर, जालोर, जोधपुर नागौर, पाली व सिरोही जिलों को सरसब्ज करते हुए बहती थी.
दरअसल अजमेर के निकट अरावली पर्वतमाला के बर-ब्यावर के पहाड़ों से निकल यह नदी बिलाड़ा, लूणी, सिवाणा, कोटड़ी-करमावास व सिणधरी होते हुए पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित राड़धरा तक बहती जाती. और कच्छ के रण में मिलने से पहले मारवाड़ के कई गांवों कस्बों को छूते हुए निकलती. इसका एक किनारा बाड़मेर के बालोतरा कस्बे को छूते हुए निकलता है. अगर हम मोकळसर, गढ सीवाणा व आसोतरा से होते हुए बालोतरा आएं तो एक पुराना सा पुल है. इसके किनारे पर मंदिर है. मंदिर के किनारे हाथियों की दो उंची प्रतिमाएं हैं. कहते हैं कि लूणी के स्वर्णकाल में ये हाथी पूरे के पूरे डूब जाते थे और उसका पानी कस्बे के बाजार तक अपने लूणी निशान छोड़ जाता था.
लेकिन यह ‘वे दिन वे बातें’ जैसा है. अब तो लूणी में पानी ही आए बरसों बरस हो गए हैं. मारवाड़ के एक बड़े इलाकों की प्यास बुझाने वाली लूणी नदी दशकों से प्यासी है. मारवाड़ की यह मरूगंगा अब सूख चुकी है और इसके तल में जम गए नमक को जेठ आषाढ की दुपहरियों में दूर से ही चमकते हुए देखा जा सकता है.
लूणी नदी की गहराई भले ही न हो लेकिन इसका बहाव क्षेत्र बहुत व्यापक रहा है. सवा पांच सौ किलोमीटर से ज्यादा दूरी नापने वाला लूणी नदी का पानी आंकड़ों के लिहाज से 37,300 किलोमीटर से अधिक (प्रवाह) क्षेत्र को सींचता था. जोधपुर से पाली जाने वाली सड़क पर निकलें तो रोहेत से दायीं ओर वाली सड़क जालोर जाती है. यह जैतपुर, बस्सी, भाद्राजून, नींबला, आहोर व लेटा होकर जालोर पहुंचती है. लेकिन जालोर से बाहर से ही बागरा, बाकरा रोड़ स्टेशन, बिशनगढ, रमणिया, मोकळसर, गढ सीवाण, आसोतरा, बालोतरा व पचपदरा होते हुए वापस जोधपुर आएं तो एक साथ चार जिलों में घूमा जा सकता है. लगभग साढे चार सौ किलोमीटर की इस यात्रा में लूणी नदी, उसकी सहायक नदियां बार बार मिलती हैं. लेकिन सब की सब सूखीं.
कहते हैं कि लूणी मूल रूप से खारी नदी नहीं है. इसका पानी बालोतरा या इसके आसपास आकर ही खारा होता है. जब यह नदी बहती थी तो इसके दोनों ओर कई मीलों तक कुएं भर भर आते थे. लेकिन उन कुंओं में लूण की मोटी परतें जम चुकी हैं. लूणी का स्वर्णकाल अतिक्रमणों व औद्योगिक कचरे के नीचे दब गया है और लूणी बेसिन योजना मानों इतिहास के किसी डस्टबिन में फेंक दी गई है.
[फोटो इंटरनेट से साभार; लूणी नदी पर एक वीडियो का लिंक यहां देखें.]
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