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Love Poetry "थी वाकई...वो अंताक्षरी कमाल की/Thi Wakai Woh Antakshari Kamal Ki"_Ankit AKP

"थी वाकई...वो अतांक्षरी कमाल की "
"तेरे मेरे दरम्यान यूँ, 
बातों की अंताक्षरी कमाल की 
एक लफ्ज मेरा फिर एक लफ्ज तेरा 
ऐसे ही कर कर हमने बातें बेशुमार की
न बात काटोगी तुम हमारी, 
न बात काटूँगा मैं तुम्हारी
इसी शर्त पर शुरुआत की
कि हर दूजा लफ्ज पहले लफ्ज से मेल खायेगा 
इसी नियम पर शुरुआत की;
हमने कहा 'आँख' तो वो 'ख्वाब' कह गए 
हमने कहा 'रात' तो वो 'नींद' कह गए 
हमने कहा 'दिल' तो वो 'एहसास' कह गए 
हमने कहा 'इश्क' तो वो 'इकरार' कह गए 
हमने कहा 'ऐतबार' तो वो 'है' कह गए
उनका यूँ 'है' कहना लफ्जों को शान्त कर गए 
हम पर ऐतबार का उनका हामी भरा जवाब,
जैसे वो अपने इश्क का इकरार कर गए
हमारे लिए उनके दिल में भी येे एहसास है 
अपनी झुकी पलकों में बयां कर गए 
कि हर रात नींद ये उनकी आँखों पर 
मेरा ख्वाब लेकर आती है, 
वो इस बात का भी जिक्र कर गए;
ये जिक्र क्या हुआ,
पूरा माहौल जैसे इश्काना हुआ 
जुबान खामोश और ये खेल कुछ दूजा हुआ
कि पहले लफ्जों में, अब नजरों में हुआ;
ये खेल कुछ गुदगुदे एहसास का था
जहाँ कुछ शरमाते, एक-दूजे को निहारते 
बस हमने आँखों-आँखों में आँखें चार की 
न वो कुछ बोली, न हम कुछ बोले 
आँखों-आँखों में ही जैसे हमने ढेर बात की
एक-दूजे में खोये हमने सुबह को शाम की 
एक-दूजे में बंधकर हमने इश्क की सौगात ली 
थी वाकई....वो अंताक्षरी कमाल की ."
_अंकित कुमार पंडा [ Ankit AKP ]
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Thanks for reading 🙏🙏
"मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये कविता पसन्द आई होगी!! "


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