क्रिकेटर पंकज प्रसून की जीवनी, जन्म, परिवार
Pankaj Prasun Biography, Age, Career, Family, Education, Net Worth, Caste, Parents In Hindi
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पंकज प्रसून एक भारतीय पत्रकार है, जो कि एक कवि, व्यंग-लेखक, औषधि वैज्ञानिक और एक जाने-माने भारतीय लेखक है. वह अपनी विशेष तरह के व्यंग लिखने के लिए जाने जाते है. उनका नवभारत टाइम्स न्यूज़ पेपर में साप्ताहिक कॉलम में “प्रसून के पंच” में एक लेख प्रकाशित होता है और वह लखनऊ लिटरेरी में आयोजन दल समिति में जुड़े हुए है. पंकज साल 2019 में कला और संस्कृति कार्य क्षेत्र में भारत के 30 युवा प्रतीक में से एक है. उनको कैम्ब्रिज अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन, जो की यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज के द्वारा आयोजित किया जाता है एवं वहां पर उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था.
पंकज प्रसून ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के दौरान देश भर के छात्रों के लिए विज्ञान कविता की कार्यशाला आयोजित की है. उन्होंने अपनी कविता की शुरुआत विज्ञान की कविताओं से की है और अब वह अपनी विज्ञान कविता के लिए जाने जाते हैं. वह विज्ञान पर हास्य कविताएँ और व्यंग्य लिखने वाले पहले कवि हैं. उनकी लिखी गई कविताएँ जैसे: कैसे बने सहारा दिल, ब्लड पंपिंग का मारा दिल, प्यार घटा है, मोटा बढ़ा है और कोलेस्ट्रॉल का मारा दिल ने उन्हें भारत के सबसे उल्लेखनीय विज्ञान कवियों में से एक बना दिया है. पंकज विभिन्न समाचार चैनलों, ऑल इंडिया रेडियो और विभिन्न निजी रेडियो स्टेशनों पर कविताएँ पाठ और अपने लिखे व्यंग सुनाए हैं.
जन्म और परिचय
पंकज प्रसून का जन्म 2 जनवरी 1984 में उत्तरप्रदेश के रायबरेली में हुआ था. उन्होंने अपनी शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से की है. वह केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में तकनीकी अधिकारी के रूप में कार्यरत है. वे भारतीय विज्ञान लेखक संघ के साथ सीएसआईआर-निस्केयर, यूपी भाषा संस्थान द्वारा आयोजित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ में आयोजित भारत के पहले विज्ञान कवि सम्मेलन के संयोजक और संवाहक है.पंकज की कविता “लड़कियां बड़ी लड़का होती है” एक बहुत ही प्रसिद्धि और लोकप्रिय कविता है, जो कि आप यहा पर उनके द्वारा ही सुन सकते है.
लिखने की शुरुआत
पंकज प्रसून कक्षा 8 वी में थे तब वह घर पर एक डायरी में लिखा करते थे. वह अपने चाचा के पास गर्मी की छुट्टियों में रहने के बाद अपने घर आए, तब उनके पिता ने उनकी डायरी देख ली. पिता को बिल्कुल विश्वास नहीं हुआ कि यह कविता पंकज ने लिखी है. जिसके बाद वह एक कवि के पास गए और उन्होंने दिखाई. उस कवि को भी विश्वास नहीं हुआ कि यह कविताएँ एक 10 वी कक्षा के छात्र ने लिखी है. उन कवि ने पंकज से पूछा कि “यह कविता तुमने लिखी है मैं तुम्हारी बात मान लूँगा. मगर मैं तुम्हारा एक छोटा सा परीक्षण लूँगा”. उन्होंने पंकज का परीक्षण लेने के लिए उनको एक लाइन दी ‘क्यों ऐसा गीत कहो की मन सोहद पूर्ण हो जाए’ और कहा कि तुम इसको पूरा करके लाओ और अगर तुम ने इसको पूरा कर लिया मैं मान लूँगा की यह कवितायेँ तुम्हारी ही है. नहीं कर सके तो मतलब की तुमने यह सब किसी का देखकर लिखा है.
पंकज ने जब गीत लिखकर सुनाया तो कवि काफी खुश हुए और उन्होंने पंकज को उपहार के स्वरूप कवि समेलन में आने का आमंत्रण दिया और वह गीत गाने का मौका भी दिया. वह पंकज का पहला कवि सम्मेलन था. तब से ही पंकज को कविता लिखने में रूचि हुई. पंकज को एक समस्या थी कि उनके गाँव में एक भी पुस्तकालय नहीं था. जब वह लखनऊ गए तब वहां के पुस्तकालय में बड़े-बड़े कवियों की कविताएँ पढकर जाना की वास्तव में व्यंग कविता किसे कहा जाता है. उन्होंने के.पी सक्सेना जो कि एक व्यंग लेखक है की किताबे और कविताएँ पढ़ा करते थे, जिनसे उनको व्यंग लिखने की काफी प्रेरणा मिलती थी. पंकज ने सब टीवी के शो वाह! वाह! क्या बात है और आज तक पर कवि सम्मेलन में भी प्रदर्शन किया है.
कविता से लाते लोगों में जागरूकता
साल 2014 में जब लोग तमिलनाडु के तिरुनेवेली जिले में स्थापित हो रहे ‘कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट’ का विरोध कर रहे थे, तब सरकार ने लखनऊ के सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआइ) में तकनीकी अधिकारी के रूप में कार्यरत एक युवा कवि पंकज प्रसून को कविताओं के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने का जिम्मा सौंपा. पंकज ने परमाणु की छांव में शीर्षक से एक किताब लिखी. तब उन्होंने हास्य-व्यंग्य के जरिए परमाणु ऊर्जा के महत्व को लोगों के सामने रखा था. यह किताब विश्व में परमाणु ऊर्जा पर किसी भी भाषा में लिखी गई पहली काव्य पुस्तक बनी और इसे एशिया बुक ऑफ रिकाडर्स में भी जगह मिली.
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