Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

वसंत पंचमी का महत्व, पूजा विधि और कथा | Vasant Panchami Mahatva, Puja Vidhi and Story in Hindi

बसंत या वसंत पंचमी का महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त और कथा कहानी | Vasant Panchami Mahatva, Puja Vidhi, Shubh Muhurat Timings and Story in Hindi

वसंत पंचमी का त्यौहार माँ सरस्वती की आराधना का त्यौहार हैं. पूरे भारत वर्ष में यह त्यौहार वसंत के मौसम की शुरुआत और देवी सरस्वती के जन्म के दिन को मनाता है. जो ज्ञान और शिक्षा की देवी हैं. यह होली के रंगीन त्यौहार के आगमन की भी घोषणा करता है. इस दिन माँ सरस्वती के साथ-साथ सभी ग्रंथो, पुस्तकों और संगीत यंत्रों की भी पूजा की जाती हैं. वसंत पंचमी का त्यौहार केवल भारत में हिंदुओं द्वारा ही नहीं बल्कि नेपाल और बाली में भी मनाया जाता है.

वसंत पंचमी मुहूर्त और तिथि (Vasant Panchami Muhurat and Timings)

हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत पंचमी माघ माह की पंचमी तिथि को मनाई जाती हैं. इस दिन मौसम के राजा बसंत का आगमन होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वसंत पंचमी फरवरी माह में आती हैं. वसंत पंचमी का यह त्यौहार प्रकृति के बदलाव का प्रतीक हैं. प्रकृति के सभी प्राकृतिक बदलाव इस बसंत मौसम के आने के बाद शुरू होते हैं.

वसंत पंचमी की तारीख (Vasant Panchami Date) 10 फरवरी,2019
वार (Day) रविवार
वसंत पंचमी पूजा मुहूर्त (Vasant Panchami Puja Muhurat) सुबह 7.07 बजे से दोपहर 12.35 तक
कुल समय 5घंटे 28 मिनिट

वसंत पंचमी पौराणिक एवम एतिहासिक कथा (Vasant Panchami Katha/ Story)

वसंत पंचमी के दिन के लिए बहुत सी कथाएँ प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार ब्रह्मा ने जब ब्रह्मांड की रचना की थी तब सम्पूर्ण धरती पर चारों तरफ मौन था. ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल की एक बूँद झिड़क कर माँ सरस्वती की रचना की. इस तरह सरस्वती जी ब्रह्माजी की पुत्री कहलायी. माँ सरस्वती के जन्म के साथ ही उनकी भुजाओं में वीणा, पुस्तक और आभूषण थे. जब माता सरस्वती से वीणा वादन का आग्रह किया गया. जैसे ही उन्होंने वीणा वादन शुरू किया. वीणा से उत्पन्न स्वर से पृथ्वी पर कम्पन्न हुआ और पृथ्वी का सूनापन समाप्त हुआ. इन स्वरों की वजह से ही मनुष्यों को वाणी की प्राप्ति हुई. पृथ्वी के चेतना के लिए आवश्यक तत्वों की उत्पत्ति माँ सरस्वती ने ही की थी.

एक और प्रचलित कथा के अनुसार जब प्रभु श्रीराम ने सीता माता की खोज में जब वह दंडकारण्य में पहुंचे थे. तब उन्होंने वसंत पंचमी के दिन ही शबरी के बेर खाकर समाज में एकात्मता का सन्देश दिया.

बसंत ऋतू पंचमी महत्व और पूजन विधि (Vasant Panchami Significance and Puja Vidhi)

वसंत पंचमी को उत्तर और दक्षिण भारत के हिंदुओं द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है जबकि यह पंजाब में एक पतंग उत्सव है, यह बिहार में एक फसल उत्सव है. जबकि यह उत्तर में शैक्षिक संस्थानों में सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है. यह ज्यादातर दक्षिण भारत में एक प्रचलित त्यौहार है. सार्वभौमिक रूप से, इस त्यौहार पर पीले रंग के वस्त्र पहनने का विशेष महत्व है क्योंकि यह बसंत के आगमन की शुरुआत करता है. पिता रंग जीवन और प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है. यह सरसों के फूलों का रंग भी है जो इस मौसम में खिलते हैं. न केवल हिंदू बल्कि जैन, सिख और बौद्ध भी देवी सरस्वती की पूजा करते हैं क्योंकि वह सभी लिखित और प्रदर्शन कलाओं की दात्री हैं.

सभी शैक्षणिक संस्थानों में, वसंत पंचमी को देवी सरस्वती की स्तुति के साथ प्रार्थना के द्वारा मनाया जाता है. जिनकी मूर्ति को पीले या सफेद फूलों और मालाओं से सजाया जाता है. संगीत और कला के अध्ययन सामग्री और उपकरणों को देवता के सामने रखा जाता है. इस दिन कोई अध्ययन नहीं किया जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि देवी अध्ययन सामग्री को आशीर्वाद दे रही हैं. शैक्षिक संस्थान विशेष कार्यों और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं जो देवी सरस्वती को समर्पित होते हैं. पीले रंग की मिठाइयाँ देवी को अर्पित की जाती हैं और बच्चों में वितरित की जाती हैं. शिक्षक पीले रंग के कपड़े पहनते हैं.

जिन बच्चों को सीखाने की शुरुआत की जाती है, वे इस दिन पाठ्यक्रम के पहले अक्षर लिखते हैं. दक्षिण भारत में यह रेत पर या एक थाली पर चावल से लिखा जाता है.

शादी के लिए, घर में गृहप्रवेश और पारिवारिक कार्यक्रमों के लिए यह दिन शुभ माना जाता है. इस शुभ दिन पर, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और स्नान करने के बाद पीले कपड़े पहनकर सूर्य देव की पूजा करते हैं. बसंत के मौसम में देवी और देवताओं का स्वागत करने के लिए, महिलाएं अपने घरों के द्वार पर सुंदर फूलों की डिजाइन बनाती हैं. देवताओं को पीले या सफेद कपड़े पहनाकर उनका श्रृंगार किया जाता हैं और उनके सामने एक ‘पूजा कलश’ स्थापित किया जाता है. देवी की पूजा की जाती है और धार्मिक गीत गाए जाते हैं. भक्त देवता के चरणों में रंग और पीले रंग की मिठाई चढ़ाते हैं. बाद में, यह लोगों के बीच वितरित किया जाता है. बच्चे रंगीन पतंग उड़ाते हैं और आसमान रंग की फुहारों के साथ जीवंत हो उठता है. महिलाओं ने पेड़ों पर बंधे रंग-बिरंगे झूलों पर झूलते हुए पारंपरिक लोक गीत गाए जाते हैं. राजस्थान में इस दिन लोग पीले पीले चमेली के फूलों की माला पहनते हैं.

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्दैवै:सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्यापहा॥

अर्थ – कुन्द, चन्द्र, तुषार के हार के समान गौरवपूर्ण शुभ्र वस्त्र धारण करने वाली, वीणा के सुन्दर दण्ड से सुशोभित हाथों वाली, श्वेत कमल पर विराजित, ब्रहा, विष्णु, महेश आदि सभी देवों के द्वारा सर्वदा स्तुत्य, समस्त अज्ञान और जड़ता की विनाशनी देवी सरस्वती मेरी रक्षा करे.

पूरी सरस्वती वंदना हिंदी अर्थ सहित जानने के लिए यहाँ क्लिक करे – पूर्ण सरस्वती वंदना

इसे भी पढ़े :

  • कुम्भ संक्रांति का महत्व और पूजा विधि
  • विजया एकादशी की पूजा विधि और महत्व
  • सीताष्टमी का महत्व, पूजा विधि और कथा

The post वसंत पंचमी का महत्व, पूजा विधि और कथा | Vasant Panchami Mahatva, Puja Vidhi and Story in Hindi appeared first on Dil Se Deshi.



This post first appeared on Dil Se Deshi : A Hindi Blog For Indian Culture And Education, please read the originial post: here

Share the post

वसंत पंचमी का महत्व, पूजा विधि और कथा | Vasant Panchami Mahatva, Puja Vidhi and Story in Hindi

×

Subscribe to Dil Se Deshi : A Hindi Blog For Indian Culture And Education

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×