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डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जीवन परिचय | Dr. Keshavrao Baliram Hedgewar Biography in Hindi

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जनक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जीवन परिचय | RSS Founder Dr. Keshavrao Baliram Hedgewar Biography( Birth, Family, Education and death)

केशवराव बलिराम हेडगेवार भारत के स्वतन्त्रता सेनानी थे. ये आर.एस.एस(राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के पहले सरसंघ चालाक भी कहलाये. केशव बलिराम हेडगेवार को संघ के लोग डॉक्टर साहब नाम से पुकारते थे.

केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म (Keshavrao Baliram Hedgewar Birth and Family)

हेडगेवार जी का जन्म नागपुर में 1 अप्रैल 1889 को हुआ था. केशव बलिराम हेडगेवार मराठी देशस्थ ब्राह्मण परिवार से थे. उनके पिता का नाम बलिराम पंत हेडगेवार था. बलिराम हेडगेवार पुराने आदर्शों वाले पुजारी थे. उनकी माता का नाम रेवती हेडगेवार था. जब डॉ साहब 13 वर्ष के थे तब उनके माता पिता की मौत प्लेग बिमारी के कारण हुई थी.

केशवराव बलिराम हेडगेवार की शिक्षा (Keshavrao Baliram Hedgewar Education)

डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार की शिक्षा नागपुर के नील सिटी हाई स्कूल में हुई. इस स्कूल में इन्होने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जाकर वन्दे मातरम् गाया था. इस कारण इनकी पूर्ण शिक्षा नील हाई स्कूल में नहीं हो पाई थी.

यवतमाल और पुणे के राष्ट्रीय विद्यालय में केशव बलिराम हेडगेवार ने अपनी अधूरी शिक्षा पूरी की. अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद ये 1910 में दवाइयों की पढ़ाई करने कोलकाता गए. बी.एस.मूंजे हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे जिन्होंने केशव बलिराम हेडगेवार को दवाइयों की पढाई करने को कहा.

1914 में केशव ने नेशनल मेडिकल कॉलेज से एल.एम. की पढाई पूरी की. एक साल बाद ट्रेनिंग पूरी कर के 1915 में वे डॉक्टर बनकर वापस नागपुर लौटे.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण (FORMATION OF RASHTRIYA SWAYAMSEWAK SAGH )(R.S.S.)

1920 तक हेडगेवार इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे लेकिन 1923 के हिन्दू-मुस्लिम दंगों में कांग्रेस की नीतियों से परेशान थे. वे राष्ट्र निर्माण के लिए एक पार्टी बनाने की सोच रहे थे.

विनायक दामोदर सावरकर और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से हेडगेवार प्रभावित होकर हिन्दुओं की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के बारे में भी सोच रहे थे.

इसी कारण हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी पर आर.एस.एस. की स्थापना की. वे चाहते थे कि सभी हिन्दू इकठ्ठा हो कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़े और भारत में हिन्दू संस्कृति की स्थापना हो.

हेडगेवार ने 1936 में महिलाओं के लिए सेविका समिति की स्थापना की. उन्होंने दिन रात संघ के लिए काम किया. वे चाहते थे की संघ के लिए उन्हें युवाओं से ज्यादा समर्थन मिले. उन्होंने कई युवा लड़के और लड़कियों को प्रेरित किया. वे संघ के प्रचार के लिए नागपुर से बाहर भी गए. हेडगेवार और उनके संघ के स्वयंसेवक ने आर.एस.एस. की शाखाओं को लखनऊ और काशी जैसी जगहों पर लगाना शुरू किया.

हेडगेवार ने बड़ी ही चतुराई से संघ की गतिविधियों को भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन से दूर रखा क्योंकि ये गतिविधियाँ कांग्रेस के नेतृत्व में हो रही थी. उन्होंने इसे किसी भी ब्रिटिश विरोधी गतिविधि से बचने के लिए बनाया था.

केशव की मृत्यु (Keshav Baliram Hedgewar Death)

हेडगेवार अपने आखिरी समय में पीठ दर्द से परेशान थे. इस परेशानी के कारण उन्होंने संघ की ज़िम्मेदारी दुसरे सदस्यों को देनी शुरू कर दी और एम.एस. गोलवलकर संघ के दुसरे सरसंघचालक बने. उन्होंने 1940 में संघ की बैठक में आखिरी बार हिस्सा लिया. उस बैठक में उन्होंने बैठक के अपने आखिरी शब्द कहे की मै अपने सामने एक छोटा सा हिन्दू राष्ट्र देख रहा हूं. डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने 21 जून 1940 में सुबह-सुबह अपनी आखरी सांसे ली.

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