दिल रुक सा गया,
जब वो यार बोल बैठा,
"जी ले बेटा ये पल ना मिलेंगे दोबारा" ।
ना फिरसे वो यारो की महफ़िल होगी,
ना ४ कटिंग और १ कॉफी की ऑर्डर होगी,
ना बिनावजह किसीपे गालियों की बौछार,
ना बिल देने परसे फिरसे लड़ाई होगी ।
ना फिरसे ये दिल किसीपे फ़िदा होगा,
ना दिल टूटने पर उसे रिझाना होगा,
ना वो गम मे सिगरेट के अश्क़ निकलेंगे,
ना दुसरे दिन किसी और पे हम मरेंगे।
ना फिरसे वो छुप छुपके पढाई होगी,
ना वो एग्जाम वाले दिन आँखे टाइट होगी,
ना पेपर कैसा गया ये कोई पूछेगा,
ना घरवालों के लिए कोई वजह ढूंढेगा।
ना रातें फिरसे उतनी रंगीन होगी,
ना दुनिया की भीड़ से इतनी दूरी होगी,
ना बिनावजह ईस चेहरे पर मुस्कराहट होगी,
ना फिरसे ज़िन्दगी इतनी रंगीन होगी।
ऐसेमे खुद को संभाला,
आँखो से निकल रहे आँसुओ को रोका,
देके उसको फिरसे २ गाली,
बस ये बोल बैठा,
"क्यों बे साले,साथ मे भूत बनकर लोगो को नहीं डरायेगा" ।
सांसे थम सी गयी,
दिल रुक सा गया,
जब वो यार बोल बैठा,
"जी ले बेटा ये पल ना मिलेंगे दोबारा" ।