कौन अब किसके काम आता है कौन अब किसके काम आता है सब तो अपने लिए ही दाता है हो भले राम और खुदा लेकिन नर स्वयं भाग्य का विधाता है उसको मैं भूल ही गया किंतु उसका एहसान याद आता है आज भी वो समझ के नाबालिग़ चांद पानी में ही दिखलाता है रिश्ता भाई का हम तो भूल गए सिर्फ कहते हैं धरती माता है हाशमी अपना देश आकर्षक स्वर्ग आदम को कब लुभाता है - आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी kaun ab kiske kaam aata hai kaun ab