किसी के हाथ में खंजर कहां है किसी के हाथ में खंजर कहां है ये धड़ तो देखता हूँ सर कहां है सड़क पर लाश अनजानी पड़ी है यही सब पूछते हैं घर कहां है मनु थे आदमी इतिहास देखो बताओ डार्विन बंदर कहां है जिधर भी देखिए पशुता का मंजर हमारे शहर में अब नर कहां है जो विष अपने गले के पास रख ले हमारे देश में शंकर कहां है यह तो दरख्वास्त की शोभा है केवल कहीं व्यवहार में सादर कहां है बनी है आज फितरत आदमी की ये