विजय दशमी - तोरण देवी ललीप्यारी विश्वविजयिनी आओ। यही समय था जब रघुपति ने किया दुष्ट संहार। विजयी हुए असुर रावण पर सुखी हुआ संसार॥ हृदय से जय-जयकार सुनाओ, प्यारी विश्वविजयिनी आओ॥ बीत गये दिन बहुत किंतु नित नव आशा की तार। रखने को अस्तित्व हमारा यही श्रेष्ठ व्योहार॥ तुम्हीं अब विजयपथ दिखलाओ, प्यारी विश्वविजयिनी आओ॥ चौदह भुवन व्याकुल जिसके और दिशा है चार। वही जगत् जननी सीता की ओर न सका निहार॥ सती