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होली के रंग - कवी कुलवंत सिंह

होली के रंग - कवी कुलवंत सिंह

होली के रंग रंग होली के कितने निराले आओ सबको अपना बना ले भर पिचकारी सब पर डाले पी को अपने गले लगा ले रक्तिम कपोल आभा से दमके, कजरारे नैना शोखी से चमके अधर गुलाबी कंपित दहके पलके गिर गिर उठ उठ चहके पीत अंगरियाँ भीगी झीनी सुध बुध गौरी ने खो दिनी धानी चुनर सांवरियां छीनी मादकता अंग अंग भर दिनी हरे रंग से धरा है निखरी श्याम वर्ण से छाई बदरी छनकर आती है धुप सुनहरी रंग रंग की खुशियाँ बिखरी नीला



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