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23 मार्च - पाश

23 मार्च - पाश

23 मार्च उसकी शहादत के बाद बाक़ी लोग किसी दृश्य की तरह बचे ताज़ा मुँदी पलकें देश में सिमटती जा रही झाँकी की देश सारा बच रहा बाक़ी उसके चले जाने के बाद अपने भीतर खुलती खिड़की में लोगों की आवाज़ें जम गई उसकी शहादत के बाद देश की सबसे बड़ी पार्टी के लोगों ने अपने चहरे से आँसू नहीं, नाक पोंछी गला साफ़ कर बोलने की बोलते ही जाने की मशक़ की उससे संबंधित अपनी उस शहादत के बाद लोगों के घरों में, उनके तकियों



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