अचानक तुम आ जाओ इतनी रेलें चलती हैं भारत में कभी कहीं से भी आ सकती हो मेरे पास कुछ दिन रहना इस घर में जो उतना ही तुम्हारा भी है तुम्हें देखने की प्यास है गहरी तुम्हें सुनने की कुछ दिन रहना जैसे तुम गई नहीं कहीं मेरे पास समय कम होता जा रहा है मेरी प्यारी दोस्त घनी आबादी का देश मेरा कितनी औरतें लौटती हैं शाम होते ही अपने-अपने घर कई बार सचमुच लगता है तुम उनमें ही कहीं आ रही हो वही दुबली देह