आँख का आँसू आँख का आँसू ढलकता देख कर जी तड़प करके हमारा रह गया क्या गया मोती किसी का है बिखर या हुआ पैदा रतन कोई नया ।।1।। ओस की बूँदें कमल से हैं कढ़ी या उगलती बूँद हैं दो मछलियाँ या अनूठी गोलियाँ चाँदी मढ़ी खेलती हैं खंजनों की लड़कियाँ ।।2।। या जिगर पर जो फफोला था पड़ा फूट करके वह अचानक बह गया हाय! था अरमान जो इतना बड़ा आज वह कुछ बूँद बनकर रह गया ।।3।। पूछते हो तो कहो मैं क्या कहूँ यों किसी