मिले हमको ख़ुशी तो हम बड़े नाशाद होते हैं मिले हमको ख़ुशी तो हम बड़े नाशाद होते हैं कि शायर अपनी बरबादी से ही आबाद होते हैं ये सच्चाई का पारस इस तरह चीज़ें बदलता है तुम्हारे संग मेरी ज़द में आकर दाद होते हैं दिखे जो मस्लहत तो पल में सब कुछ भूल जाते हैं वो जिनको ज़िंदगी के सब पहाड़े याद होते हैं किसी दिन तुम ख़ुदी को, ख़ुदसे पीछे छोड़ जाते हो वो सब जो तुमसे आगे थे, तुम्हारे बाद होते हैं वो