ऊँट बड़े तुम ऊट-पटाँग ऊँट बड़े तुम ऊट-पटाँग ! गरदन लंबी, पूंछ जरा-सी आँखें छोटी, दांत बड़े, ऊबड़-खाबड़ पीठ, ऊँघते रहते अक्सर खड़े-खड़े। बँधी गद्दियाँ हैं पैरों में लेकिन झाडू जैसी टाँग ! सारा हुलिया बेढंगा है शीशा देखो कभी अगर, लोट-पोट खुद हो जाओगे होगी अकड़ रफूचक्कर। चाल तुम्हारी ऐसी जैसे चलता कोई पीकर भाँग ! - बालस्वरूप राही Unt Bade Tum ut-pataang unt bade tum ut-pataang gardan lambi,