मोहब्बतों में हवस के असीर हम भी नहीं
मोहब्बतों में हवस के असीर हम भी नहीं
ग़लत न जान के इतने हक़ीर हम भी नहीं
नहीं हो तुम भी क़यामत की तुन्द ओ तेज़ हवा
किसी के नक़्श ए क़दम की लकीर हम भी नहीं
हमारी डूबती...
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