ग़ज़ल-221 1222 22 221 1222 22
अरकान- मफ़ऊल मुफ़ाईलुन फ़ैलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन फ़ैलुन
रग-रग के लहू से लिक्खी है, हम अपनी कहानी क्यों बेचें।
रग-रग के लहू से लिक्खी है, हम अपनी कहानी क्यों बेचें।
हर लफ़्ज़...
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