अभी तक जिस को अपनाया नहीं था
अभी तक जिस को अपनाया नहीं था
वो सिर्फ़ इक धूप थी साया नहीं था
घरौंदे रेत के बन तो गए थे
ठहर जाएँगे ये सोचा नहीं था
न जाने मेरी बस्ती में हुआ क्या
वही सड़कें थीं हंगामा...
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