हमारी एक दिन हमको ख़ताएँ मार डालेंगी
उजड़ते जंगलों की बददुआएँ मार डालेंगी
अभी चेते नहीं जल्दी तो ऐसा दौर आएगा
धुँआ औ धूल, ज़हरीली हवाएँ मार डालेंगी
न होगा काम गुर्दों, फेफड़ों से जब प्रदूषण...
[यह पोस्ट का एक अंश मात्र है यदि आपको यह लेख या ग़ज़ल/कविता पसंद आई तो लिंक पर जाकर पूरी पोस्ट पढ़े Subscribe our youtube channel https://bit.ly/jakhirayoutube ]