हम दहर के इस वीराने में जो कुछ भी नज़ारा करते हैं
अश्कों की ज़बाँ में कहते हैं आहों में इशारा करते हैं
क्या तुझ को पता क्या तुझ को ख़बर दिन रात ख़यालों में अपने
ऐ काकुल-ए-गीती हम तुझ को जिस तरह...
[यह पोस्ट का एक अंश मात्र है यदि आपको यह लेख या ग़ज़ल/कविता पसंद आई तो लिंक पर जाकर पूरी पोस्ट पढ़े Subscribe our youtube channel https://bit.ly/jakhirayoutube ]