लम्हा तो एक सदी को जनम दे के मर गया
लेकिन अज़ीम काम भी लम्हे में कर गया
अगले जनम में मिलने का वादा जो कर गया
ऐसा लगा कि मांग में सिंदूर भर गया
शाहों-गदा को, प्यार को, नफरत को, मौत को
ये वक्त रौंदता...
[यह पोस्ट का एक अंश मात्र है यदि आपको यह लेख या ग़ज़ल/कविता पसंद आई तो लिंक पर जाकर पूरी पोस्ट पढ़े Subscribe our youtube channel https://bit.ly/jakhirayoutube ]