तुम आज हाथों से दूरियाँ नापते हो सोचोदिलों में किस दर्जा फ़ासला था वबा से पहले- अंबरीन हसीब अंबर
दुनिया तो हम से हाथ मिलाने को आई थीहम ने ही एतिबार दोबारा नहीं किया- अंबरीन हसीब अंबर
एक कमरे में सिमट...
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