देर में सो कर उठने वाले
पड़े हैं बिस्तर उठने वाले
चाय की बरकत से ख़ाली हैं
देर में अक्सर उठने वाले
शोर नहीं इस चुप की तलाफ़ी
दिल में बवंडर उठने वाले
हाए वो दीवानों के सर हैं
आह वो पत्थर...
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