ग़ज़ल- 122 122 122 12
अरकान- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊ
मैं शायर हूँ दिल का जलाया हुआ।
किसी नाज़नीं का सताया हुआ।।
वो बचपन के दिन भी थे कितने हसीं।
था बाहों में कोई समाया हुआ।।
है पहचान भी अब मेरी कुछ...
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