बुजुर्गो से निभाना भूल बैठे
अदब से सर झुकना भूल बैठे
चले आये महानगरों में जब से
सभी रिश्ते निभाना भूल बैठे
उन्हें है जुस्तजू मंजिल की यारो
जो खुद रस्ता बनाना भूल बैठे
तुम्हारी आँखों में कैसी कशिश...
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