बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते
एक सच के लिए किस किस से बुराई लेते
आबले अपने ही अँगारों के ताज़ा हैं अभी
लोग क्यूँ आग हथेली पे पराई लेते
बर्फ़ की तरह दिसम्बर का सफ़र होता है
हम उसे साथ न...
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