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बहुत काम बाकी है टाला पड़ा है - शमशेर बहादुर सिंह

बहुत काम बाकी है टाला पड़ा है मगर उनकी आँखों पे जाला पड़ा है सुराही पड़ी है पियाला पड़ा है करे क्या जुबानो पे ताला पड़ा है बहुत सुर्खरुई थी वादों में जिनके जो मुँह उनका देखो तो काला पड़ा है कहाँ उठ के...

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