सबने सोचा था, ये अंजाम से पहले-पहले
हम पलट आएंगे बस शाम से पहले-पहले
वक़्त मरहम की तरह काम तो करता है, मगर
क्या जलन होती है आराम से पहले-पहले
ये ज़माना है बहुत आगे चलो पीछे चलें
हम रुबाई कहें ख़य्याम...
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