ग़ज़ल- 221 2121 1221 212
अरकान- मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
शिकवा गिला मिटाने का त्योहार आ गया।
दुश्मन भी होली खेलने को यार आ गया।।
परदेसी सारे आ गए परदेस से यहाँ।
अपना भी मुझको रंगने मेरे द्वार आ...
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