गीता सी या कुरआन सी उम्दा किताब बन
बन कुछ ज़िन्दगी में मगर लाजवाब बन
जुगनू नही चिराग़ या फिर आफ़ताब बन
तारीकियो में नूर का तू इन्कलाब बन
हाथो पे हाथ धर के न तकदीर आजमा
तदबीर की बिसात पर तू कामयाब...
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