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अगर - मनीष वर्मा

अगर - मनीष वर्मा

थक गया हूँ बहुत अगर सो जाऊँ तो चादर ओढ़ा देना। खुशियों के मोती दिल के पास संजो के रखें हैं, कुछ ज़िन्दगी की भाग - दौड़ में बिखर से गए है। ढूँढ रहा हूँ उनको, अगर ढूँढ पाऊँ तो पिरोकर माला बना देना। कानों में पड़ रही नहीं, आवाज़ भी चूं भर, है दिल में शोर फिर भी भर - भर। है लड़ाई मेरी मुझसे, अगर हार जाऊँ तो हिम्मत बढ़ा देना। होते हैं रिश्ते भी कितने अजब, झीने - झीने, न जाने बिखर जाएँ कब। संभालने की



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