ड्रिल देखना मेरी मनपसंद चीजों में से एक है, इससे पहले NCC में ड्रिल करना बेहद पसंद था, और मैं सीनियर अंडर ऑफीसर हुआ करता था। कई camp मैंने NCC के दौरान किये, और सबसे बेहतरीन कैम्प मेरा रहा, आर्मी अटैचमेंट कैम्प, जबलपुर, जहाँ हमें ग्रेनेडियर रेजिमेंट अलॉट हुआ था, सेना की बैरकों में ही हमारा ठिकाना था, वहीं हमारी मेस हुआ करती थी।
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रंगरूटों की जबरदस्त तबियत से रगड़ाई होते हुए हम देखते थे, वैसे हमारी जो रगड़ाई होती थी, वो उनके मुकाबले कुछ भी नहीं होती थी।
26 जनवरी और 15 अगस्त को हम हमेशा ही NCC की तरफ से समारोह में शामिल हुए। इसके लिये कुछ दिनों पहले से ही समारोह के लिये रिहर्सल करने भी जाते थे। अब तो खैर ये सब यादें ही रह गईं हैं।
हमारी बड़ी दिली इच्छा थी, सेना में भर्ती होने की, पर अपन सेना भर्ती परीक्षा निकाल लेते, उतने बुद्धिमान नहीं थे, और न ही हमारे घुटने, जो मेडिकल ही पास नहीं होने देते।
अभी tv पर परेड देखकर अपने सारे कमांड भी याद करता रहता हूँ, परेड दाहिने देख, खाली एक, परेड सामने देख, खाली एक
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