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Odisha News The Story Of The Treasure Room Of Puri Jagannath Temple Which Has Not Been Opened For 3 Decades Abpp


(*3*)देश में इस साल के अंत में ओडिशा सहित पांच राज्यों में विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव से पहले अलग-अलग राज्यों में कई ऐसे गड़े मुर्दे उखाड़े जाने लगे हैं जिससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सत्ताधारी या विपक्षी पार्टियों को फायदा पहुंच सकता है. इन्हीं मुद्दों में से एक है जगन्नाथ मंदिर के खजाने का मुद्दा. 

(*3*)दरअसल ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर के खजाने को खोलकर उसकी पूरी जांच कराने की पुरानी मांगों को हवा दी जा रही है. हैरानी की बात तो ये है कि ये रत्न भंडार पूरे 3 दशकों से बंद है और विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही उठा रही है. 

(*3*)बीते बुधवार यानी 18 अक्टूबर को ही ओडिशा के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष समीर मोहंती के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के एक समूह ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति (SJTMC) के अध्यक्ष गजपति दिब्यसिंघा देब से मुलाकात की थी. इस बातचीत में उन्होंने रत्न भंडार को खोलने की मांग की.  इससे दो दिन पहले ही कांग्रेस ने पुरी में शक्ति प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में उन्होंने रत्न भंडार का मुद्दा भी उठाया था. 

(*3*)ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस रत्न भंडार के इतने सालों से बंद रहने के पीछे का क्या रहस्य है और अभी ही इसे खोलने की बात क्यों हो रही है…

(*3*)पुरी जगन्नाथ मंदिर क्या है और इतना मशहूर क्यों है

(*3*)ओडिशा में स्थित जगन्नाथ मंदिर को हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल कहा जाता है. आसान भाषा में समझें तो हिंदू धर्म में (बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी) इन चार धामों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है. कहा जाता है कि इन्ही चार धामों में एक जगन्नाथ मंदिर की ऐसी कई विशेषताएं हैं, जो इसे सबसे अलग बनाती हैं.

(*3*)इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंग राजवंश के प्रसिद्ध राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था. जगन्नाथ मंदिर जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जो दशकों से रहस्य ही बनी हुई हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब भगवान विष्णु चारों धाम पर बसे तो सबसे पहले बदरीनाथ गए वहां स्नान करने के बाद वो गुजरात के द्वारिका गए और वहां कपड़े बदले. द्वारिका के बाद ओडिशा के पुरी में उन्होंने भोजन किया और आखिर में उन्होंने तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया. 

(*3*)3 दशकों से नहीं खोला गया भंडार घर 

(*3*)रत्न भंडार जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में स्थित है. इस भंडार घर के भी हिस्से हैं, एक बाहरी एक भीतरी हिस्सा. एक कक्ष में देवताओं यानी भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आभूषणों का संग्रह रखा हुआ है और दूसरी कक्ष में आभूषण के कई टुकड़े रखे गए हैं. भंडार के दूसरे कक्ष में  खाने-पीने के बर्तन भी रखे हुए हैं. कहा जाता है कि ये आभूषण 12वीं सदी के बने आभूषण है. जब राजाओं और भक्तों ने उसे मंदिर में चढ़ाया था.  

(*3*)भंडार घर के अंदर कितना खजाना है

(*3*)अप्रैल 2018  को इस खजाने के बारे में बताते हुए पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में कहा था कि साल 1978 में रत्न भंडार में 12 हजार 831 भारी सोने के आभूषण थे, इन आभूषणों पर कई तरह के कीमती पत्थर लगे हुए हैं. साथ ही भंडार में 22 हजार 153 चांदी के बर्तन और अन्य चीजें भी मौजूद हैं. इन बर्तनों और अन्य चीजों को वजन एक भारी यानी 11.66 ग्राम है. 

(*3*)आखिरी बार कब खोला गया था ये मंदिर 

  • आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आखिरी बार ये रत्न भंडार साल 1978 में 13 मई से 23 जुलाई के बीच खोला गया था. उस वक्त इस कमरे में मौजूद चीजों की जानकारी दी गई थी.  
  • इस दरवाजे को एक बार फिर साल 1985 के 14 जुलाई को खोला गया. लेकिन, इस बार इसके अंदर क्या है इसकी कोई जानकारी आधिकारिक तौर पर अपडेट नहीं की गई. 

इस रत्न भंडार घर को कौन और कैसे खोल सकता है 

(*3*)ओडिशा को जगन्नाथ मंदिर के तहखाने में स्थित भंडार घर को खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. साल 2018 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के कहने पर ओडिशा के हाई कोर्ट इसे खोलने का आदेश दिया था. हालांकि इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई. इस प्रक्रिया के पूरे नहीं होने की वजह बताई गई की यहां के चैंबर की चाबी नहीं मिल रही है. 

(*3*)चाबी रखने की जिम्मेदारी किसके पास होती है 

(*3*)नियम के अनुसार भंडार घर के कक्ष की चाबी पुरी कलेक्टर के पास होती है. साल 2018 में जब चाबी नहीं मिलने की बात कही गई उस वक्त ये कलेक्टर अरविंद अग्रवाल के पास थे. हालांकि उनके पास चाबी नहीं होने की बात ने साल 2018 में काफी बवाल मचा दिया था. मामला इतना ज्यादा बढ़ गया था कि इस मामले में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को दखल देना पड़ा. उन्होंने इस पूरे मामले की तहकीकात का आदेश दिया था.

(*3*)सीएम के आदेश के बाद कलेक्टर के पास चाबी की जानकारी नहीं होने को लेकर जांच कमेटी बैठाई गई. लगभग 2 हफ्तों बाद इस कमेटी ने बताया कि उन्हें एक लिफाफा मिला है, जिसपर लिखा है- भीतरी रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां. इस लिफाफे के साथ ही इस कमेटी ने लंबी-चौड़ी रिपोर्ट भी दी थी, लेकिन इसमें क्या लिखा है, ये कभी सार्वजनिक नहीं हो सका. 

(*3*)ASI फिर हुआ सक्रिय 

(*3*)एएसआई ने अगस्त 2022 में रत्न भंडार घर के कमरे को खेलने की अनुमति मांगी थी. एएसआई ने इस संबंध में जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को पत्र भी लिखा था, लेकिन किसी कारणवश इस भंडार घर को खोलने की अनुमति नहीं मिल पाई. अब इस साल इस भंडार घर को खोलने की लगातार हो रही इस मांग के बीच मंदिर प्रबंधन समिति अगस्त में ही रथ यात्रा 2024 के दौरान रत्न भंडार को खोलने की बात कह चुकी है.

(*3*)अब समझते हैं इस रत्न भंडार घर का सियासी एंगल

(*3*)ओडिशा में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले है. इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इस मुद्दे को उठाकर जनता के बीच अपनी जगह बनाना चाहती है. इस मुद्दे को उठाने का एक कारण ये भी है कि पिछले साल से ही प्रदेश में इस भंडार को खोलने की मांग की जा रही थी. ऐसे में अगर ये भंडार घर खोला जाता है तो दोनों ही पार्टियां इसका क्रेडिट लेना चाहते हैं. यही कारण है कि कांग्रेस ने कुछ दिन पहले ही पुरी में शक्ति प्रदर्शन किया था इस मुद्दे को उठाया. 

(*3*)क्यों की जाती है रत्न यात्रा 

(*3*)ओडिशा में हर साल निकाले जाने वाला जगन्नाथ रथ यात्रा प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण आयोजनों में से एक है. इस यात्रा के दौरान भव्य जुलूस निकाले जाते हैं, देवताओं को सजाकर गए रथों पर रखा जाता है, जिन्हें हजारों भक्त पुरी की सड़कों से खींचते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस रथ यात्रा में भाग लेने, रस्सियों को छूने, या इस यात्रा के दौरान देवताओं के दर्शन करने से भी अपार आशीर्वाद मिलता है.

(*3*)पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन ने अपने भाई से नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी. बहन की इच्छा पूरी करने के लिए जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा के रथ पर बैठकर नगर घूमने गए. उन्होंने लगातार सात दिनों तक नगर की यात्री की और तभी से ये यात्रा हर साल निकाली जाती है. 

(*3*)वहीं, दूसरी तरफ ये भी कहा जाता है कि, जब भगवान कृष्ण के मामा कंस ने उन्हें  रथ पर मथुरा  बुलाया था तो वह सवार होकर अपने भाई के साथ गए थे, तभी से ये रथ यात्रा शुरू की गई.

(*3*)जगन्नाथ मंदिर की रसोई में किया जाता है भव्य भोजन तैयार 

(*3*)जगन्नाथ मंदिर की रसोई में हर दिन भव्य भोजन तैयार किया जाता है, जिसे महाप्रसाद के रूप में जाना जाता है. इस महाप्रसाद को हजारों भक्तों को बांट दिया जाता है. 

(*3*)कितना बड़ा है जगन्नाथ मंदिर 

(*3*)जगन्नाथ मंदिर के पास ओडिशा में 60,426 एकड़ जमीन है और 6 राज्यों में 395.2 एकड़ की जमीन है. इन 6 राज्यों में पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार शामिल है.

(*3*)हर 12 साल में बदली जाती हैं मूर्तियां

(*3*)जगन्नाथ मंदिर की एक खास बात ये है कि यहां मौजूद तीनों मूर्तियां हर 12 साल में बदल दिया जाता हैं. हर 12 साल पर पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. खास बात ये है कि मूर्ति बदलने की इस प्रक्रिया के दौरान पूरे शहर में बिजली काट दी जाती है. इस प्रक्रिया के दौरान मंदिर के आसपास का इलाका पूरी तरह अंधेरा कर दिया जाता है. 

(*3*)वहीं मंदिर के बाहर सीआरपीएफ की सुरक्षा तैनात कर दी जाती है. मूर्ति के बदले जाने के वक्त मंदिर में किसी की भी आवाजाही पर पाबंदी लगी होती है. सिर्फ वही पुजारी अंदर अंदर जा सकता है जिन्हें मूर्तियां बदलनी होती हैं. उस पुजारी के आंखों पर भी पट्टी बंधी हुई होती है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सिर्फ एक चीज नहीं बदली जाती है और वह है ब्रह्म पदार्थ. ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगा दिया जाता है.

(*3*)अब ये ब्रह्म पदार्थ है क्या? 

(*3*)इसके ब्रह्म पदार्थ के बारे में अब तक कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. बस इतना पता है कि ये मूर्ति का कोई हिस्सा है जो हर 12 साल नई मूर्ति पर लगा दिया जाता है. एक धार्मिक मान्यता ये भी कि इस ब्रह्म पदार्थ को जिसने भी देख लिया तो उसकी मौत हो जाएगी. मान्यता तो ये भी है कि ब्रह्म पदार्थ को देखने वाले के शरीर के चिथड़े उड़ जाएंगे.                                                                                                                                                                                 

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