सागर | बुंदेलखंड मेडिकल विश्वविधालय में गुरुवार के दिन को एमसीआई का तीन सदस्यीय दल प्री-पीजी के निरीक्षण हेतु बुंदेलखंड मेडिकल विश्वविधालय में उपस्थित हुआ विश्वविधालय प्रबंधन द्वारा पिछले महीने एमसीआई को कंप्लायंस रिपोर्ट भेज कर खामियां दूर करने की बात कही थी परंतु दल को यहां पर डॉक्टरों की कमी इस समय भी मिली विशेष तौर पर छह डिपार्टमेंट में प्रोफेसर के पद खाली होने से दल नाखुश दिखाई दिया |
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इसका असर दवाइयां, सर्जरी तथा हड्डी डिपार्टमेंट में स्नातकोत्तर की सीटों पर पड़ने वाला है यह माना जा रहा है कि इन प्रमुख विभागों में जब तक डॉक्टरों की पूर्ति नहीं हो पाती है तब तक एमसीआई स्नाकोत्तर शुरू करने की अनुमति प्रदान नहीं करेगा दूसरी तरफ प्रबंधन के हाव भाव भी इस ओर इशारा करने लगे हैं |
डीन डॉक्टर जी एस पटेल के हिसाब से त्वचा विज्ञान, रेडियोडायग्नोसिस, रेडियो थेरेपी, चिकित्सा और पुनर्वास, मानसिक रोगों की चिकित्सा, टीबी और छाती में प्रोफेसरों को नियुक्त करना चुनौती पूर्ण है इस कारण से दवाइयां, हड्डी तथा सर्जरी में स्नातकोत्तर प्राप्त होना संभव नहीं है सच इन इंटरव्यू तथा इंटर्नशिप कार्यक्रम के जरिए डॉक्टरों की कमी को पूर्ण करने का प्रबंधन योजना तैयार कर रहा है |
एमसीआई की गाइडलाइन के हिसाब से मेडिकल विश्वविधालय में 10 फ़ीसदी फैकल्टी होना अनिवार्य है बुंदेलखंड मेडिकल विश्वविधालय में एक वर्ष पहले 34 फ़ीसदी फैकल्टी की कमी थी जिसको लगातार इंटरव्यू के माध्यम से कम कर के 12 फीसदी लाया गया है अभी वर्तमान समय में २ फीसदी डॉक्टरों की कमी है जिसको अभी भी कमी के रूप में माना जा रहा है देर शाम एमसीआई की टीम ने अपनी रिपोर्ट में इसी बात का जिक्र किया है तथा दिल्ली रिपोर्ट सौंपी जाएगी |
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