दिल्ली । फर्जी पेपर बना कर बिना जरूरत के सामान खरीद फरोख्त कर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को करोड़ों का चूना लगाने का मामला गंभीर रूप लेता जा रहा है। लंबी जद्दोजहद के बाद इसकी जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करेगा। इस पहल के बाद एम्स प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस मामले में करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा फैकल्टी सदस्यों समेत पैरामेडिकल, क्लर्क व अन्य स्टाफ का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
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क्या है मामला : एम्स को करोड़ों का चूना लगाने के मामले में पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी की शिकायत पर सीबीआई ने चार साल बाद मामला दर्ज कर ही लिया। एफआईआर में एम्स के एक यूडीसी समेत एक निजी कंपनी के दो अधिकारियों व अन्य अज्ञात सरकारी अधिकरियों का भी जिक्र किया गया है। आने वाले समय में संस्थान के बड़े नामों पर भी गाज गिरने की संभावना है।
सीबीआई द्वारा इसी महीने की दस तारीख को दर्ज एफआईआर नं. आरसी-डीएआई-2018-ए-0001 के अनुसार उन्हें एक शिकायत मिली थी कि एम्स के स्टोर ऑफिसर द्वारा निजी कंपनी एचएस इंटरप्राइजेज के साथ मिलकर फर्जी कागजों के आधार पर वर्ष 2013-14 के दौरान सर्जरी के सामान के 27 टेंडर जारी किए गए और इस कंपनी को फायदा पहुंचाया गया। इस मामले में सर्जरी विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष एमसी मिश्रा ने रेट इंक्वायरी के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इस मामले में सीबीआई ने बीते वर्ष सितम्बर महीने में पीई दर्ज की थी।
जांच में पकड़ा फर्जीवाड़ा : सीबीआई ने अपनी इंक्वायरी मे पाया कि एचएस इंटरप्राइजेज के जगमोहन ऋषि ने मेसर्स भगवान दास नारायण कुमार का फर्जी लेटर हेड बना और साइन कर सर्जरी विभाग के टेंडर मे पेश किया जिसकी वजह से यह टेंडर एचएस इंटरप्राइजेज को मिल गया। इसके अलावा मेसर्स हर्ष साइंटीफिक और मेसर्स साई मेडीवेल के भी फर्जी लेटर हेड और साइन पाए गए। इसके अलावा एम्स के यूडीसी नरेश कुमार को नियमों के विरुद्ध जगमोहन से बाई हैंड और सामान्य डाक से रेट इंक्वायरी लेने का दोषी भी पाया गया।
सीबीआई नें अपनी जांच में नरेश कुमार के पास से इन कंपनियों के फर्जी लेटर हेड भी बरामद किए हैं।सीबीआई की जांच मे पाया गया कि नरेश कुमार ने जिन सर्जिकल आइटमों का टेंडर जारी किया था, उसे लेकर विभाग ने कोई मांग ही नहीं की थी। न ही इसके लिए कोई वेब पब्लिसीटी भी नहीं की गई। इस फर्जीवाडे से एचएस इंटरप्राइजेज ने इस दौरान 27 मे से 24,17,029 रु पए के 17 टेंडर हासिल कर लिए।
जांच हो रही निष्पक्ष : एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह मामला पुराना है, मैं तो अभी हाल ही में निदेशक बना हूं। जांच एजेंसियां गंभीरता पूर्वक निष्पक्ष जांच कर रही है। मुझे उम्मीद है कि मामला जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा।
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