भोली-सी मुस्कान,
चँचल हँसी,
नैनों में शरारत
दबी दबी,
बाँधती है मुझको,
पल पल तुम्ही से,
कि इतनी मासूम तो,
खुदाई भी नहीं।
सूरज भी जलता है,
क्षितिज भी छलता है,
मेघा का दिल,
बन आँसू, पिघलता है,
और तुम सीप में,
मोती-सी जड़ी,
चन्दा की चांदनी,
शरमाई सी खड़ी।
बाँधती है मुझको,
पल पल तुम्ही से,
कि इतनी मासूम तो,
खुदाई भी नहीं।