कुछ शब्द पड़े थे कानो में,
गली, हाट मैदानों में,
सुनकर के दिल घबराया,
पलकें नम, जी भर आया.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
बेटी को जो जन्म दिया,
माँ मनहूस है कहलाई,
बंटते खील अताशेतब,
अब रोटी को तरसाई।
पहले से जो होता ज्ञान,
कोख में ही ले लेते जान.....
सुनकर के दिल घबराया,
पलकें नम, जी भर आया.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
कॉलेज जा के क्या करना,
इक दिन जाना है ससुराल,
चूल्हा - चौका सीखो तुम,
भाई पे ना कर आँखें लाल।
भाई बुढापे की पूँजी,
तुम अमानत दूजे की.....
सुनकर के दिल घबराया,
पलकें नम, जी भर आया.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
बेटा मेरा डॉक्टर है,
खर्चा लाखों का सर है,
सारा क़र्ज़ उतारोगे,
बँगला, गाड़ी भी दोगे।
पगड़ी मेरे चरण धरो,
या जा किसी सड़क बिको...
सुनकर के दिल घबराया,
पलकें नम, जी भर आया.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
कन्यादान करूंगा जो,
स्वर्ग में जगह बनाऊंगा,
जिस दिन बेटी होए विदा,
काशी जा गंगा नहाऊंगा।
बेचूँगा अपना गुर्दा,
हो जाए बेटी का ब्याह...
सुनकर के दिल घबराया,
पलकें नम, जी भर आया.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
बहु ने है बेटी जन्मी,
किस घड़ी बनी दुल्हन अपनी,
फिर बेटे का ब्याह रचाऊँ,
पोते की दादी कहलाऊँ।
इसका काम तमाम करो,
तेल का कुछ इंतजाम करो...
सुनकर के दिल घबराया,
पलकें नम, जी भर आया.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....
तमसो माँ ज्योतिर्गमय.....