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नवजीवन दे मोहे साजना

नवजीवन दे मोहे साजना

सूखे सूखे प्यासे लब पर

अमृत की एक बूँद छुआ दे,
नवजीवन दे मोहे साजना,
आकर मुझको अंग लगा ले।

यूँ तो दोनों भरी हैं गागर,
बात बात पर छलकाएँ जल,
कैसे प्यास बुझे मनवा की,
जल खारा बरसे है पल पल।

आस तुझी से, सांस तुझी से,
साँसों से जी भर के पिला दे।
नवजीवन दे मोहे साजना,
आकर मुझको अंग लगा ले।

उठे हूक-सी यूँ जियरा में,
सुनकर तेरी बोली प्यारी,
नैन चिढ़ें कर्णों से साजन,
कब आएगी इनकी बारी?

दिल न समझे, मैं समझूँ,
तू ही आकर के समझा दे।
नवजीवन दे मोहे साजना,
आकर मुझको अंग लगा ले।




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