Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

फर्क क्या पड़ता है

जिंदगी में मुश्किलों का,
सामना होना हीं था
ख्वाब हम चाहें न चाहें,
बावरा होना हीं था,
बेबसी ने हमको मारा
फर्क क्या पड़ता है जब
अईयाशिओं से भी हमें
बर्बाद तो होना हीं था
मगरूर भी होते अगर
लाचार भी होना ही था
फर्क क्या पड़ता है जब
कहीं कभी, किसी मोड़ पर
किसी दर पे तो झुकना हीं था
नया आसमां ढूंढना हीं था
नयी उड़ान भरनी हीं थी
फर्क क्या पड़ता है जब
कोई अनकहा दर्द महसूस कर
नया जन्म तो लेना हीं था |

- अपर्णा

Share the post

फर्क क्या पड़ता है

×

Subscribe to इस मोड़ से जाते हैं

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×