जिंदगी में मुश्किलों का,
सामना होना हीं था
ख्वाब हम चाहें न चाहें,
बावरा होना हीं था,
बेबसी ने हमको मारा
फर्क क्या पड़ता है जब
अईयाशिओं से भी हमें
बर्बाद तो होना हीं था
मगरूर भी होते अगर
लाचार भी होना ही था
फर्क क्या पड़ता है जब
कहीं कभी, किसी मोड़ पर
किसी दर पे तो झुकना हीं था
नया आसमां ढूंढना हीं था
नयी उड़ान भरनी हीं थी
फर्क क्या पड़ता है जब
कोई अनकहा दर्द महसूस कर
नया जन्म तो लेना हीं था |
सामना होना हीं था
ख्वाब हम चाहें न चाहें,
बावरा होना हीं था,
बेबसी ने हमको मारा
फर्क क्या पड़ता है जब
अईयाशिओं से भी हमें
बर्बाद तो होना हीं था
मगरूर भी होते अगर
लाचार भी होना ही था
फर्क क्या पड़ता है जब
कहीं कभी, किसी मोड़ पर
किसी दर पे तो झुकना हीं था
नया आसमां ढूंढना हीं था
नयी उड़ान भरनी हीं थी
फर्क क्या पड़ता है जब
कोई अनकहा दर्द महसूस कर
नया जन्म तो लेना हीं था |
- अपर्णा
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