माटी अब अबीर हो गयी ,
जिन्दगी कबीर होगई ,
सपने सब गुलाल हो गए ,
उम्र के बवाल हो गए //
सांसों मे महक गया चन्दन ,
फागुन का शत शत अभिनन्दन ,
अधरों पर धधक उठा टेसू ,
मौसम ने लहराए गेसू //
इंद्र धनुष रंगों का जागा,
नेह का जुड़ा सबसे धागा ,
इठलाती नीम राग गाती ,
मंदिर मे हो रही प्रभाती //
रस कच्ची अम्बिया में जागा ,
अधरों ने अधरों को माँगा ,
चटक गया दर्पण शरमाया ,
यौवन ने ऐसा बहलाया //
हरियाली भाषा सी बोली ,
महक उठी माथे पर रोली ,
गोरी सी एड़ी पर लाली ,
होरी फिर आयी मतवारी //
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