Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

आप

आप फिर याद आने लगे हैं/
जख्म फिर मुस्कुराने लगें हैं //
धुप की बढ़ रही है तपिश /
फूल फिर गुनगुनाने लगें हैं //
उम्र ज्यों होगई आइना /
अक्स खुद को डराने लगे हैं//
जान बक्शी की किस से अरज ?
दोस्त छूरे चलाने लगे हैं//
मुद्दतों बाद देखा है घर /
पर नयन डबदबाने लगे हैं //
किस से मन की कहें दास्ताँ ?
दर्द फिरसर उठाने लगे हैं //



This post first appeared on जीवन सन्दर्भ, please read the originial post: here

Share the post

आप

×

Subscribe to जीवन सन्दर्भ

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×