राजस्थांनी मांय पत्रिकावां री घणी कमी मानीजै। पण जद गुदी मरोड़ निजर न्हाखां तो एक सोनळ इतियास चवड़ै हुवै। इण इतियास मांय एक नांव है- गोरबंद। सन् 1983 सूं सरू हुयी सालाना पत्रिका रो नांव ‘गोरबंद’ राखीज्यो। इण सरूवात रो जस है, राजस्थांनी रा चावा प्रगतिशील कवि श्री गोरधनसिंह शेखावत नै। श्री शेखावत उण बगत […]
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