.... एक बार फिर "खरगोश" और ’कछुए’ के बीच दौड़ का आयोजन हुआ पिछली बार भी दौड़ का आयोजन हुआ था मगर ’गफ़लत’ के कारण ’खरगोश’ हार गया ।मगर ’खरगोश’ इस बार सतर्क था। यह बात ’कछुआ: जानता था इस बार .... दौड़ के पहले कछुए ने खरगोश से कहा -’मित्र ! तुम्हारी दौड़ के आगे मेरी क्या बिसात । निश्चय ही तुम जीतोगे और मैं हार जाऊँगा। तुम्हारी जीत के लिए अग्रिम बधाई। मेरी तरफ़ से उपहार स्वरूप कुछ ’बिस्कुट’ स्वीकार करो।
Related Articles
This post first appeared on अलà¥à¤²à¤®à¥...गलà¥à¤²à¤®à¥....बैठनिठà¥à¤ à¥à¤²à¤®à¥..., please read the originial post: here