दो रुपये में दुआ।Hindi Motivational Story।
उर्दू के मशहूर शायर अल्लामा इकबाल एक दिन अपने कमरे में बैठे थे कि नौकर ने आकर खबर दी कि कोई पीर साहब मिलने आए हैं। खबर सुनकर इकबाल उनसे मिलने अपने मुलाकाती कमरे में पहुंचे। अभी वह पीर साहब से बात करने बैठे ही थे कि बाहर से एक मुरीद घबराया सा आया और पीर के पैरों पर गिरकर , 'हुजूर, जैसे ही खबर मिली कि आप यहां हैं, मैं भागा-भागा आ ।। हुजूर, मेरी हालत बेहद खराब है । मेरे सिर पर दो सौ रुपये उधार चढ़ गया है। आप मेरे लिए दुआ करें कि यह कर्ज 'उतर जाए।'
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यह कह कर दो रुपये पीर को भेंट दिए। पीर साहब ने दो रुपये अपनी जेब में डाले और हाथ उठाकर अपने मुरीद के लिए दुआ मांगने लगे। यह देख इकबाल से न रहा गया। उन्होंने भी तुरंत हाथ उठाए और ऊंची आवाज में दुआ करने लगे, 'ऐ खुदा, आजकल के पीर गुमराह हो गए हैं। उन्हें अक्ल दे और आजकल के मुरीदों को सही राह दिखा कि ये पीरों के झांसों में ना आएं। या इलाही, यह मुरीद कहता है कि इस पर दो सौ रुपये का कर्ज है। मगर यह नहीं जानता कि अब इस पर दो सौ नहीं, बल्कि दो सौ दो रुपये का कर्ज है।'
इस बात पर पीर साहब को बहुत गुस्सा आया उन्होंने इकबाल को खरी-खोटी भी सुनाई। लेकिन अल्लामा इकबाल अड़कर बोले, 'मैं तो यह दुआ तब तक मांगूंगा, जब तक आप रुपए मुरीद को वापस नहीं कर देते।' आखिरकार तंग आकर पीर साहब ने दो रुपये वापस कर दिए और इकबाल से अपनी जान छुड़ाई अब इकबाल उस मुरीद से बोले, 'ढोंगी पीरों के नहीं, अपनी मेहनत के मुरीद बनो।' बाद में उन्होंने उसको काम दिला दिया, जिससे उसका आर्थिक संकट जाता रहा ।